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IL&FS से DHFL तक - क्यों लड़खड़ा रहे हैं NBFC? IL&FS to DHFL - Why NBFC is fluctuating

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Sinopsis

भारत में तक़रीबन 90 बैंक है पर 10000 ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियाँ (NBFC) हैं जबकि दोनों संस्थाओं का एक ही रोल है - किफ़ायती क़र्ज़ उपलब्ध करा पाना | कोबरापोस्ट वेबसाइट ने इनमें से एक - DHFL - पर जनवरी में आरोप लगाया था कि इस कम्पनी ने 31 हजार करोड़ रुपए का घोटाला किया है! इसे ‘भारत के इतिहास का सबसे बड़ा बैंकिंग स्कैम’ करार दिया गया था।भारत में ही नहीं, पूरे विश्व में NBFC पर नियंत्रण कैसे हो यह एक ज्वलंत विषय है | तो इस एपिसोड में हमने कोशिश की समझने की यह NBFC बला क्या है? इस विषय पर पुलियाबाज़ी के लिए हमारे साथ है दो विशेषज्ञ - हर्ष वर्धन और नारायण रामचंद्रन | हर्ष एसपी जैन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च (SPJIMR) में फेलो है | नारायण एक इन्वेस्टर, लेखक, और तक्षशिला इंस्टीटूशन में सीनियर फेलो हैं | इससे पहले नारायण मॉर्गन स्टैनली इंडिया के प्रमुख और RBL बैंक के ग़ैर-कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके है | इस विषय पर पढ़िए हर्ष के विचार ब्लूमबर्गक्विंट पर और नारायण का लेख मिंट अखबार में| इस पुलियाबाज़ी में हमने उनके सामने यह सवाल रखे: ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी मतलब NBFC क्या होती है? NBFC और मिक्रोफिनांस संस्थाओं में